इंदौर की विशेष पहचान राजवाड़ा को ढंकने का काम किया जा चुका है। बड़ा पीला प्लास्टिक राजवाड़ा पर लगा गया है ताकि रंगों के कारण इसे नुकसान न पहुंचे
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बैलगाड़ी से हुई थी गेर की शुरुआत गेर आयोजक कमलेश खंडेलवाल ने बताया कि आज से 75 साल पहले उनके पिता प्रेमस्वरूप खंडेलवाल, बाबूलाल गिरी और सत्यनारायण सत्तन साहब ने मिलकर इंदौर में गेर की शुरुआत की थी। बैलगाड़ी से शुरू हुआ गेर मिसाइल, टैंकर, डीजे सहित मॉडर्न साधनों तक पहुंच चुका है। इस गेर की पहचान पूरे देशभर में है।
देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में रंगपंचमी पर होने वाली विश्वप्रसिद्ध पारंपरिक गेर बुधवार को निकलेगी। करीब 3 किलोमीटर लंबी गेर में मुख्यमंत्री मोहन यादव, एनआरआई सहित लाखों लोग शामिल होंगे। इसमें लाखों लीटर पानी और हजारों किलो गुलाल-रंग लोगों पर उड़ाया जाएगा। नाच-गाने के लिए डीजे रहेंगे।
इस बार तीन गेर और एक फाग यात्रा निकलेगी, 370 लोगों ने छत बुक कराई हैं। राजवाड़ा को ढंका गया है, ताकि रंगों के कारण वह खराब न हो। आयोजकों से लेकर प्रशासन, सभी ने गेर की तैयारियां शुरू कर दी हैं। पुलिस ने एरिया को सेक्टर में बांटकर सुरक्षा इंतजाम किए हैं।
CM और एनआरआई भी होंगे शामिल
महापौर पुष्यमित्र भार्गव और नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा ने बताया कि गेर में सीएम डॉ. मोहन यादव भी शामिल होने आ रहे हैं। सभी व्यवस्था की जा चुकी है। महापौर ने बताया कि पिछले दो साल से नगर निगम भी आधिकारिक रूप से शामिल हो रहा है। इस बार नगर निगम की गेर रहेगी, एनआरआई का रथ भी रहेगा।
पहले से सफाई मित्र रहेंगे तैनात
गेर के बाद सफाई व्यवस्था की भी पूरी तैयारी की जा चुकी है। 500 से ज्यादा कर्मचारी और संसाधन एक साथ लगकर रिकॉर्ड टाइम में पूरे गेर मार्ग को साफ करेंगे। इस बार के भी फोटो-वीडियो यूनेस्को को भेजे जाएंगे। भारत सरकार से भी निवेदन किया है कि यूनेस्को में पत्र भेजे और उनकी विजिट कराए।
गेर के लिए अब तक क्या तैयारियां की है
राजवाड़ा महल को ढंका गया
इंदौर की विशेष पहचान राजवाड़ा को ढंकने का काम किया जा चुका है। बड़ा पीला प्लास्टिक राजवाड़ा पर लगा गया है ताकि रंगों के कारण इसे नुकसान न पहुंचे। इसके साथ ही गोराकुंड और सराफा क्षेत्र में बिल्डिंगों को बड़े प्लास्टिक से ढंका गया है। कई लोग भी अपने घरों को रंग-गुलाल से बचाने के लिए प्लास्टिक से कवर कर रहे हैं।
इमरजेंसी exit के लिए रूट बनाया
पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह ने बताया कि गेर के पूरे रूट में 100 से 200 मीटर के सेक्टर बनाए जा रहे हैं, ताकि उसमें प्रभावी तरीके से सुरक्षा व्यवस्था की जा सके। साथ ही अन्य आकस्मिक व्यवस्थाएं की जा रही हैं। इमरजेंसी एग्जिट रूट बनाए जा रहे हैं। हाइराइज की व्यवस्था भी की जा रही है।
While Indore may not have a direct equivalent of Rajasthan’s Gair, its festivals embody a similar spirit of collective joy:
सुरक्षा और स्वच्छता: इंदौर की पहचान
“स्वच्छ भारत” अभियान में अग्रणी इंदौर रंग पंचमी के दौरान भी पर्यावरण संरक्षण को नहीं भूलता। नगर निगम की टीमें त्योहार के बाद सड़कों की सफाई तेजी से करती हैं। साथ ही, पानी की बर्बादी रोकने के लिए “सूखी होली” को प्रोत्साहित किया जाता है।
रंग पंचमी: इंदौर की पहचान
रंग पंचमी, जिसे “फागुन पंचमी” भी कहते हैं, होली के पांचवें दिन मनाई जाती है। मान्यता है कि मराठा शासक महारानी अहिल्याबाई होलकर के समय से यह परंपरा शुरू हुई। उन्होंने इंदौर को न केवल एक सशक्त राज्य बनाया, बल्कि यहाँ के सांस्कृतिक उत्सवों को भी नई ऊँचाइयाँ दीं। आज भी इंदौरवासी इस दिन को पूरे उत्साह से मनाते हैं, जिसमें रंग, संगीत, और मस्ती का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
_______________________________________गेर को देकने के लिए छतों की कराई जाती है बुकिंग
गेर में अब ट्रैक्टर-ट्रॉली, डीजे, पानी के टैंकर और अन्य गाड़ियां शामिल होने लगी हैं। रंगपंचमी की गेर देखने के लिए लोग छतों पर बुकिंग कराने लगे हैं। पहले की अपेक्षा अब लाखों की संख्या में लोग इस गेर में शामिल होने लगे हैं। नगर निगम गेर में पिछले दो साल से आधिकारिक रूप से शामिल होने लगा है। इसमें अब एनआरआई भी शामिल होने के लिए आने लगे हैं।
Frequently Asked Questions
इंदौर का इतिहास क्या है?
What is GER in Indore?
इंदौर में रंग पंचमी क्यों मनाई जाती है?
रंग पंचमी और होली में क्या अंतर है?
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राजवाड़ा में रंग पंचमी का उत्सव (इंदौर पर्यटन विभाग)
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सराफा बाज़ार में होली की तैयारियाँ (स्रोत: स्थानीय फोटोग्राफर)
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इंदौर की होली परंपरा (विकिमीडिया कॉमन्स)
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