इंदौर क्लीन सिटी ,अब सोलर सिटी की तरफ आगे बढ़ रही है ।

अब खबर इंदौर से है क्लीन सिटी अब सोलर सिटी की तरफ आगे बढ़ रही है यानी कि इंदौर अब प्रदेश का पहला ऐसा शहर बन गया है जहां 100 मेगावाट और ऊर्जा विद्युत उत्पादन क्षमता विकसित हो गई है

 

यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है स्वच्छता की तर्ज पर यह उपलब्धि ना केवल शहर के लिए गर्व का विषय है बल्कि बेहद जन भागीदारी का प्रमाण भी है

एक साल में ही 5000 नए लोग सोलर से जुड़े हैं

दावा है कि इंदौर की कुल ऊर्जा खपत का 15 से 20% हिस्सा अब सौर ऊर्जा से मिल रहा है और शहर की आधा दर्जन से ज्यादा ऐसी कंपनियां भी हैं जहां 50% घरों में सोलर सिस्टम लगाया गया है एक साल में ही 5000 नए लोग सोलर से जुड़े हैं महापौर पुष्यमित्र भार्गव के मुताबिक क्लीन सिटी को डिजिटल और सोलर सिटी बनाने का अब लक्ष्य है निगम इसके लिए लगातार काम भी कर रहा है

                                                                                                                                  महापौर पुष्यमित्र भार्गव

    क्या कहना है  महापौर पुष्यमित्र भार्गव का

कैंप सही मिल जाएगा चिंता मत करो मित्र अभियान भी जो माननीय नरेंद्र मोदी जी ने जिसकी घोषणा की थी उसको वृहद कॉलोनी कॉलोनी ले जाने तक काम किया 31 मार्च के जो आंकड़े आए हैं उस हिसाब से शहर में 100 मेगावाट बिजली अभी शहर खुद अपनी जनरेट कर रहा है तो कहीं ना कहीं यह स्पीड अगर रही तो 10 लाख से ज्यादा की आबादी वाला शहर इंदौर भी सोलर सिटी बनने वाला शहर होगा

यहाँ सोलर पैनल के सूर्य की रोशनी को बिजली में बदलने की प्रक्रिया हिंदी में समझाई गई है:

मूल सिद्धांत (फोटोवोल्टिक प्रभाव):
  • सोलर पैनल “फोटोवोल्टिक प्रभाव” नामक एक प्रक्रिया से काम करते हैं।
  • इसका मतलब है कि जब सूर्य की रोशनी (फोटॉन) कुछ विशेष पदार्थों (जैसे सिलिकॉन) से टकराती है, तो वे इलेक्ट्रॉनों को मुक्त कर देते हैं।
  • ये मुक्त इलेक्ट्रॉन बिजली का प्रवाह बना सकते हैं।
सोलर पैनल की संरचना:
  • सोलर पैनल कई छोटे “सोलर सेल” से बने होते हैं।
  • प्रत्येक सोलर सेल में सेमीकंडक्टर सामग्री की परतें होती हैं, आमतौर पर सिलिकॉन, जिन्हें बैटरी की तरह सकारात्मक और नकारात्मक विद्युत क्षेत्र बनाने के लिए उपचारित किया जाता है।
  • जब प्रकाश सेमीकंडक्टर से टकराता है तो इलेक्ट्रॉन विद्युत क्षेत्र से होकर गति करते हैं, जिससे विद्युत धारा उत्पन्न होती है।
  • सोलर पैनल ऐरे:
    • एक सोलर पैनल अपेक्षाकृत कम बिजली उत्पन्न करता है।
    • अधिक बिजली उत्पन्न करने के लिए, कई सोलर पैनलों को एक “ऐरे” में एक साथ जोड़ा जाता है।
    • यह ऐरे घरों, व्यवसायों या यहां तक कि बड़े बिजली संयंत्रों के लिए पर्याप्त मात्रा में बिजली प्रदान कर सकता है।
  • संक्षिप्त में:
    • सूर्य की रोशनी सोलर पैनल पर पड़ती है।
    • सोलर पैनल के अंदर लगे सोलर सेल प्रकाश को बिजली में बदलते है।
    • यह बिजली फिर उपयोग के लिए भेजी जाती है।
सरल शब्दों में, सोलर पैनल सूर्य की रोशनी को सीधे बिजली में बदलने का एक तरीका है।_____________________________________________________________________________

किसी भी छोटे शहर को सोलर ऊर्जा में बदला जा सकता है। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:
  • रूफटॉप सोलर पैनल:
    • घरों, स्कूलों, अस्पतालों और अन्य सरकारी इमारतों की छतों पर सोलर पैनल लगाए जा सकते हैं।
    • इससे शहर की बिजली की जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा पूरा किया जा सकता है।
  • सोलर स्ट्रीट लाइट्स:
    • पारंपरिक स्ट्रीट लाइट्स को सोलर स्ट्रीट लाइट्स से बदला जा सकता है।
    • यह न केवल ऊर्जा की बचत करेगा बल्कि रात में शहर को रोशन भी रखेगा।
  • सोलर पावर प्लांट्स:
    • शहर के बाहरी इलाकों में सोलर पावर प्लांट्स स्थापित किए जा सकते हैं।
    • इससे शहर की बिजली की मांग को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में बिजली उत्पन्न की जा सकती है।
  • जागरूकता और प्रोत्साहन:
    • लोगों को सोलर ऊर्जा के लाभों के बारे में जागरूक करना महत्वपूर्ण है।
    • सरकार सोलर पैनल लगाने के लिए सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन प्रदान कर सकती है।
  • स्मार्ट ग्रिड:
    • स्मार्ट ग्रिड तकनीक का उपयोग करके, शहर सोलर ऊर्जा के उत्पादन और वितरण को बेहतर ढंग से प्रबंधित कर सकता है।
भारत में ऐसे कई छोटे शहर है जो सोलर ऊर्जा की ओर बढ़ रहे है, जैसे की मध्यप्रदेश का सांची शहर, जो भारत का पहला सौर शहर बना है।
सोलर ऊर्जा का उपयोग करने से शहर न केवल आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी।

Frequently Asked Questions

What is solar energy?
सौर ऊर्जा क्या है?
सोलर स्ट्रीट लाइट्स ?

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